Transformer kya hai.







 

 

 

 

Transformer क्या है; इसका भाग, प्रकार और कार्य सिद्धांत क्या है

होम थिएटर हो या एम्पलीफायर, स्टेबलाइजर हो या चार्जर, यूपीएस हो या इन्वर्टर लगभग सभी प्रकार के उपकरणों में आपने ट्रांसफार्मर लगा हुआ देखा होगा। हो सकता है कि आपने transformer के इस्तेमाल से अपना कुछ प्रोजेक्ट भी बनाया होगा और खराब ट्रांसफार्मर को बदलकर उसके जगह पर नया ट्रांसफार्मर भी लगाया होगा।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये ट्रांसफार्मर क्या है या परिणामित्र क्या है? ट्रांसफार्मर का काम क्या है?ट्रांसफार्मर कितने प्रकार का होता है? ट्रांसफार्मर किस सिद्धांत पर आधारित है? ट्रांसफार्मर की संरचना कैसी होती है? उच्चाई ट्रांसफार्मर की कितनी होती है? ट्रांसफार्मर का प्रयोग कैसे किया जाता है? ट्रांसफार्मर का अविष्कार कब हुआ? ट्रांसफार्मर कैसे बनाये? ट्रांसफार्मर कैसे बनाया जाता है?


                 ट्रांसफार्मर क्या है और इसका काम क्या है?

ट्रांसफार्मर एक ऐसा इलेक्ट्रिकल यन्त्र है जो किसी भी वैल्यू के AC volt को उससे कम या ज्यादा किसी भी वैल्यू के ac volt में बदल सकता है। आसान शब्दों में कहें तो ट्रांसफार्मर एक ac volt converter यन्त्र है। ट्रांसफार्मर को हिंदी में परिणामित्र भी कहा जाता है अर्थात ट्रांसफार्मर का हिंदी नाम परिणामित्र होता है। इसके इस्तेमाल से निम्नलिखित काम किये जा सकते हैं।



  1. किसी भी वोल्ट के एसी करंट को उससे ज्यादा किसी भी वोल्ट के AC सप्लाई में बदला जा सकता है। या, ट्रांसफार्मर के द्वारा लो वोल्टेज को हाई वोल्टेज में बदला जाता है।
  2. किसी भी वोल्ट के ac सप्लाई को उससे कम किसी भी लो वाल्ट के AC current में बदला जा सकता है। या, ट्रांसफॉमर के द्वारा high volt को low volt में बदला जाता है।


क्या ट्रांसफार्मर DC सप्लाई पर भी काम करता है?

Transformer सिर्फ-और-सिर्फ AC पर ही काम कर सकता है। इसका इनपुट भी एसी होगा और आउटपुट भी एसी ही होगा। यदि आप इसका इस्तेमाल DC पर करना चाहेंगे तो इसके लिए सबसे पहले आपको DC supply को एक अलग सर्किट की सहायता से एसी में बदलना होगा और फिर इससे प्राप्त ac पर ही ट्रांसफार्मर को इनपुट सप्लाई देना होगा।

क्या ट्रांसफार्मर का आउटपुट DC भी हो सकता है?

नहीं, ट्रांसफार्मर सिर्फ एसी ही लेगा और एसी ही आउट भी करेगा। आप चाहे इसमें सीधे ही एसी सप्लाई दें या फिर डीसी को एसी में बदलकर दें, ये हमेशा एसी करंट ही आउट करेगा। आप चाहें तो इसके आउटपुट एसी को रेक्टीफायर सर्किट के द्वारा dc में बदल सकते हैं।

Transformer के भाग कितने होते हैं?

किसी भी ट्रांसफार्मर की संरचना को समझने के लिए सबसे पहले आपको ट्रांसफार्मर के भाग को समझना होगा। किसी भी ट्रांसफार्मर में मुख्यतः निम्न भाग होते हैं…

1) Transformer Coil: ट्रांसफार्मर में कोइल का क्या काम है?

ट्रांसफार्मर का क्वाइल ही उसका मुख्य भाग होता है। ट्रांसफार्मर के क्वाइल में ही इनपुट एसी सप्लाई दिया जाता है और क्वाइल से ही आउटपुट एसी सप्लाई प्राप्त भी किया जाता है। किसी भी transformer में मुख्य रूप से निम्नलिखित 2 प्रकार का कोइल इस्तेमाल किया जाता है।

a) Primary coil: ट्रांसफार्मर में प्राइमरी कोइल का क्या काम है?

ट्रांसफार्मर के जिस क्वाइल के दोनों तार पर इनपुट एसी करंट का सप्लाई देते हैं उसे प्राइमरी कोइल कहा जाता है। ट्रांसफार्मर में प्राइमरी क्वाइल का प्रतिरोध सबसे ज्यादा होता है। साथ ही प्राइमरी क्वाइल के बैंडिंग में इस्तेमाल किया गया तार भी पतला होता है।

b) Secondary coil: ट्रांसफार्मर में सेकेंडरी क्वाइल का क्या काम है?

ट्रांसफार्मर के जिस कोइल के दोनों तार से आउटपुट एसी करंट का सप्लाई प्राप्त किया जाता है उसे सेकेंडरी क्वाइल कहा जाता है। सेकेंडरी कोइल का प्रतिरोध प्राइमरी कोइल के प्रतिरोध की तुलना में कम होता है। साथ ही सेकेंडरी कोइल के बैंडिंग में इस्तेमाल किया गया तार भी प्राइमरी क्वाइल के अपेक्षा मोटा होता है।



ट्रांसफार्मर का एक coil इनपुट और दूसरा coil आउटपुट के लिए होता है लेकिन यदि आप ट्रांसफार्मर के बारे में पहली बार जान रहे हैं तो आपको ये बात जानकर बहुत ही हैरानी होगी कि इन दोनों क्वाइल का आपस में किसी भी प्रकार का कोई इलेक्ट्रिकल कनेक्शन नहीं होता है। कहने का तात्पर्य ये है कि इनके दोनों क्वाइल बिलकुल ही अलग-अलग होते हैं, ठीक वैसे ही जैसे कोई भी 2 मोबाइल फोन अलग होते हैं और उनका आपस में किसी भी तरह का कोई electrical connection नहीं होता है।
यदि आप ये बात पहली बार जान रहे हैं तो शायद आप भी आश्चर्यचकित हो सकते हैं। लेकिन आपको बता देना चाहूँगा कि इसमें आश्चर्य करने जैसी कोई बात नहीं है। सबसे पहले तो आपको ट्रांसफार्मर का कार्य सिद्धांत जान लेना चाहिए कि आखिर ट्रांसफार्मर किस सिद्धांत पर कार्य करता है। ट्रांसफार्मर किसी magic से काम नहीं करता, बल्कि ये चुम्बकीय सिद्धांत पर कार्य करता है।
उदाहरण के लिए, जिस तरह से 2 स्मार्टफोन का आपस में कोई इलेक्ट्रिकल कनेक्शन नहीं होता है लेकिन फिर भी वे आपस में hotspot और wi-fi कनेक्शन के माध्यम से आपस में कनेक्ट हो जाते हैं ठीक उसी तरह से एसी सप्लाई दिए जाने के बाद ट्रांसफार्मर के दोनों क्वाइल भी चुम्बकीय गुणों की वजह से आपस में बिना किसी इलेक्ट्रिकल कनेक्शन के सिर्फ तरंग के माध्यम से जुड़ जाते हैं जिस वजह से उससे आउटपुट सप्लाई मिलने लगता है।

2) खोल या ढांचा

ट्रांसफार्मर के जिस खोखले, कुचालक और नर्म सतह पर क्वाइल की बैंडिंग की जाती है उसे खोल या ढांचा कहा जा सकता है।

3) Tissue paper: ट्रांसफार्मर में टिश्यू पेपर का क्या काम है?

खोखले सतह पर प्राइमरी कोइल की बैंडिंग पूरा हो जाने के बाद सेकेंडरी कोइल की वाइंडिंग शुरू करने से पहले primary coil के वाइंडिंग को टिश्यू पेपर से अच्छे से ढँक दिया जाता है ताकि दोनों कोइल किसी वजह से आपस में शार्ट न हो जाये। टिश्यू पेपर की खासियत ये होती है कि ट्रांसफार्मर और उसका क्वाइल कितना भी गर्म क्यों न हो जाए, लेकिन टिश्यू पेपर न तो जलता ही और न ही राख होता है।


प्राइमरी क्वाइल की वाइंडिंग पूरा होते ही उसे टिश्यू पेपर से अच्छी प्रकार से पैक कर दिया जाता है जिससे दोनों क्वाइल के बीच डायरेक्ट इलेक्ट्रिकल कनेक्शन नहीं हो पाता है। जब प्राइमरी क्वाइल को अच्छी प्रकार से पैक कर दिया जाता है तो फिर सेकेंडरी क्वाइल की वाइंडिंग शुरू की जाती है। फिर जब सेकेंडरी क्वाइल की वाइंडिंग भी पूरी हो जाती है तब सबसे अंत में एक बार फिर से इस क्वाइल को भी टिश्यू पेपर से अच्छी प्रकार से पैक कर दिया जाता है ताकि कोर और क्वाइल के बीच इलेक्ट्रिकल कनेक्शन न बने।

4) कोर: ट्रांसफार्मर में कोर का क्या काम है?

जब प्राइमरी और सेकेंडरी दोनों क्वाइल की बैंडिंग पूरी हो जाती है तब उससे connection wire को निकालकर उसे पूरी तरह से pack कर दिया जाता है और तब वो इस्तेमाल करने के लायक हो जाता है। लेकिन यदि इसी हालत में कोइल में सप्लाई देकर इसका इस्तेमाल करेंगे तो कुछ ही देर में ये गर्म होकर जल जायेगा।
E & I type transformer core material
इससे बचने के लिए इसके खोखले जगह में नर्म लोहे का कोर लगाया जाता है जो कि सामान्य रूप से E और l टाइप का होता है। बहुत सारे कोर को जब transformer के खोखले भाग में अच्छे से टाइट करके भर दिया जाता है तब ट्रांसफार्मर पूरा हो जाता है और ये इस्तेमाल करने लायक बन जाता है। हालांकि विभिन्न तरह के transformer में विभिन्न तरह के कोर का इस्तेमाल किया जाता है।

ट्रांसफार्मर कितने प्रकार के होते हैं?

इस्तेमाल के आधार पर निम्नलिखित 3 प्रकार से ट्रांसफार्मर का वर्गीकरण किया गया है। अर्थात transformer निम्नलिखित 3 प्रकार का होता है।

1) Step up transformer: स्टेप अप ट्रांसफार्मर इन हिंदी

जिस ट्रांसफार्मर से लो वोल्टेज को हाई वोल्टेज में बदला जाता है उसे स्टेप अप ट्रांसफार्मर कहते हैं। स्टेप अप transformer के प्राइमरी कोइल की अपेक्षा सेकेंडरी क्वाइल में अधिक टार्न में वाइंडिंग की होती है। स्टेप अप ट्रांसफार्मर का इस्तेमाल अधिकांशतः बैटरी इन्वर्टर में किया जाता है जिस वजह से इसे इन्वर्टर ट्रांसफार्मर भी कहा जाता है।
                                   
Set up transformer in hindi

2) Step down transformer: स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर

जिस transformer के माध्यम से हाई वोल्टेज को लो वोल्टेज में बदला जाता है उसे स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर कहते हैं। स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर में सेकेंडरी क्वाइल की अपेक्षा प्राइमरी क्वाइल की वाइंडिंग में ज्यादा टर्न होते हैं। किसी भी बैटरी के चार्जर, होम थिएटर और एलिमिनेटर में स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर का इस्तेमाल देखा जा सकता है।
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3) Auto Transformer: ऑटो ट्रांसफार्मर

जिस transformer से स्टेप अप ट्रांसफार्मर और स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर दोनों का काम एक साथ लिया जा सके उस transformer को ऑटो ट्रांसफार्मर कहते हैं। सीधे शब्दों में कहें तो ऑटो ट्रांसफार्मर से लो वोल्टेज को हाई वोल्टेज में भी बदला जा सकता है और हाई वोल्टेज को लो वोल्टेज में भी बदला जा सकता है।



ऑटो transformer में प्राइमरी क्वाइल और सेकेंडरी क्वाइल की जगह पर सिर्फ एक ही क्वाइल लगाया जाता है और उसी क्वाइल से बहुत सारा कनेक्शन वायर निकाल दिया जाता है। इतने तार में से एक तार को कॉमन रखा जाता है और बाकी के बचे हुए तार से ही इनपुट और आउटपुट के लिए बाकी का एक-एक कनेक्शन किया जाता है। किसी भी सर्किट के जरूरत के अनुसार ऑटो ट्रांसफार्मर में कॉमन, प्राइमरी और सेकेंडरी तार का चुनाव किया जाता है।
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किसी भी उपकरण में इनपुट और आउटपुट दोनों के लिए 2 -2 तार निकले होते हैं। लेकिन यदि किसी उपकरण में इनपुट और आउटपुट दोनों के ही एक-एक वायर को आपस में जोड़ कर तब बाकी का कनेक्शन किया जाये तो इसे ही कॉमन लेना कहते हैं। ट्रांसफार्मर में भी इनपुट और आउटपुट का एक-एक तार कॉमन होता है और बाकी के बचे एक-एक तार पर ही इनपुट और आउटपुट निर्भर करता है। ऑटो ट्रांसफार्मर का इस्तेमाल स्टेबलाइजर और यूपीएस में देखा जा सकता है।

ट्रांसफार्मर में इनपुट और आउटपुट, वोल्टेज या करंट की लिमिट क्या होती है?

जिस प्रकार से किसी भी व्यक्ति के काम करने की एक क्षमता होती है ठीक उसी प्रकार से ट्रांसफार्मर के इनपुट और आउटपुट की भी एक क्षमता होती है। यदि आप किसी ट्रांसफार्मर के क्षमता से ज्यादा उस पर लोड दे देंगे तो वो जलकर खराब हो जायेगा।

ट्रांसफार्मर में इनपुट वोल्टेज की लिमिट क्या होती है?

किसी भी ट्रांसफार्मर में कितना वोल्ट इनपुट देना होता है और कितना वोल्ट आउटपुट लेना है इसी बात को ध्यान में रखकर तभी कोई transformer तैयार किया जाता है। आमतौर पर रिपेयरिंग के कामों में इस्तेमाल किए जानेवाले ट्रांसफार्मर में 220V एसी का सप्लाई दिया जाता है। लेकिन यदि आपको किसी ट्रांसफार्मर में 1000V का सप्लाई देना है तो आपको transformer बनाने वाले मैकेनिक से संपर्क करना होगा क्योंकि ऐसा ट्रांसफार्मर मार्केट में उपलब्ध नहीं होता है।

ट्रांसफार्मर में आउटपुट वोल्टेज की लिमिट क्या होती है?

ट्रांसफार्मर का आउटपुट वोल्टेज आपके जरूरत के अनुसार निर्भर करता है। यदि आपको 12V की जरूरत है तो आप 12 वोल्ट का transformer खरीदिये, यदि इससे अलग किसी वोल्ट की जरूरत है तो उतने वोल्ट का ही ट्रांसफार्मर खरीदिये जितने की आपको जरूरत हो।

ट्रांसफार्मर में आउटपुट करंट की क्या लिमिट है?

जिस प्रकार से आप अपने जरूरत के आउटपुट वोल्ट का ट्रांसफार्मर खरीद सकते हैं ठीक उसी प्रकार से आप अपने जरूरत के आउटपुट करंट के लिए भी transformer खरीद सकते हैं। यदि आपकी जरूरत सिर्फ 2 एम्पेयर करंट की है तो आप 2 एम्पेयर का ट्रांसफार्मर खरीद सकते हैं। लेकिन यदि आपकी जरूरत इससे ज्यादा या कम करंट की है तो उतने करंट का ही transformer खरीदें जितने की आपको जरूरत हो। यदि आप कम आउटपुट करंट वाले ट्रांसफार्मर पर ज्यादा करंट के सर्किट का लोड दे देंगे तो आपका ट्रांसफार्मर जल जाएगा।
सीधे शब्दों में कहें तो transformer की कोई लिमिट नहीं होती है। ये आप पर निर्भर करता है कि आपको कितने वोल्ट और कितने एम्पेयर के ट्रांसफार्मर की जरूरत है।

Transformer price in india: ट्रांसफार्मर की कीमत कितनी होती है?

किसी भी ट्रांसफार्मर की कीमत उसके आउटपुट करंट पर निर्भर करती है। transformer चाहे 12V आउटपुट का हो या 18V का या 24V का, यदि सभी का आउटपुट करंट बराबर एम्पेयर में है तो सभी का रेट भी लगभग बराबर ही होगा।

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